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Saturday, August 18, 2012

महेन्द्र कपूर


Mahendra Kapoor
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प्रसिद्ध गायक महेन्द्र कपूर ने शनिवार 27 सितम्बर 2008 को इस दुनिया को अलविदा कहा। वे 74 वर्ष के थे।

महेन्द्र कपूर का यह दुर्भाग्य रहा कि उन्होंने हिंदी सिने संगीत जगत में ऐसे समय प्रवेश किया जब ढेर सारी प्रतिभाएँ पहले से ही मौजूद थीं। इस वजह से उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं हो पाया। फिर भी ये तारीफ की बात है कि सिने जगत के संगीत के स्वर्णकाल में उन्होंने कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी पहचान बनाए रखी।

आरंभिक जीवन 
महेन्द्र कपूर का जन्म 9 जून 1934 को अमृतसर में एक व्यवसायी घराने में हुआ था। वे एक सम्पन्न परिवार से थे, लेकिन उनकी रूचि व्यवसाय के बजाय गीत-संगीत में थी। जब उनका परिवार मुंबई आ गया तो महेन्द्र कपूर को एक राह मिल गई। इस राह पर संघर्ष बहुत कड़ा था, लेकिन वे हार मानने वालों में से नहीं थे।

स्कूली जीवन के दौरान ही उनकी मधुर आवाज ने सबका ध्यान खींचना शुरू कर दिया। प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी ने उनका मार्गदर्शन किया। सेंट जेवियर्स कॉलेज मुंबई से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की।

संगीत की शिक्षा उन्होंने पं. तुलसीराम शर्मा, उस्ताद नियाज अहमद, मनोहर पोतदार, फैयाज अहमद तथा पंडित हुस्नलाल से ली। कॉलेज के दिनों में ही उनकी आवाज के चर्चे होने लगे थे और उन्हें पढ़ाई के दौरान ही फिल्मों में गाने का अवसर मिला। फिल्म ‘मदमस्त’ (1953) से उन्होंने पार्श्व गायन की शुरुआत की।

हरफनमौला गायक 
गीत, गजल, भजन, कव्वाली जैसे हर तरह का गायन उन्होंने कुशलतापूर्वक किया। लगभग अपने समकालीन सभी संगीतकारों नौशाद, सी.रामचंद्र, शंकर-जयकिशन, रवि, कल्याणजी-आनंदजी, खय्याम के लिए उन्होंने गाया और अभिनेताओं को अपनी आवाज उधार दी।

रफी से उनकी आवाज मिलती-जुलती थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी एक स्वतंत्र छवि गढ़ी। रफी, किशोर, मुकेश, हेमंत कुमार जैसे गायकों के कारण उन्हें कम अवसर मिलें।

महेन्द्र कपूर को लोकप्रियता मिली बी.आर.चोपड़ा और मनोज कुमार की फिल्मों से। बी.आर. चोपड़ा, संगीतकार रवि और महेन्द्र कपूर की तिकड़ी ने कई यादगार गीत दिए। चोपड़ा की ‘धूल का फूल’, ‘वक्त’, ‘हमराज’, ‘धुँध’ जैसी कई फिल्मों में महेन्द्र कपूर ने गायन किया।

मनोज कुमार की फिल्म ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘क्रांति’ जैसी कई फिल्मों के सफल होने में महेन्द्र कपूर की आवाज का भी योगदान था। इन फिल्मों में उनके गाए देशभक्ति के गीत बेहद हिट रहे।

देशभक्ति से ओतप्रोत ‘मेरे देश की धरती’ की लोकप्रियता का कोई मुकाबला नहीं है। उनकी जोशीली आवाज से श्रोताओं के मन में देशभक्ति की भावनाएँ हिलोरे लेने लगती हैं। हिंदी के अलावा उन्होंने कई भाषाओं में गाने गाए। मराठी फिल्मों में उनकी जोड़ी दादा कोंडके के साथ खूब जमी।

पुरस्कार और सम्मान
अपने लंबे करियर में महेन्द्र कपूर को कई मान-सम्मान मिले। राष्ट्रीय पुरस्कार, तीन बार फिल्म फेयर अवॉर्ड, गुजरात प्रदेश के श्रेष्ठ गायक अवॉर्ड, पद्मश्री और लता मंगेशकर सम्मान जैसे कई पुरस्कार उन्हें मिलें। देश-विदेश में उन्होंने अनेक चेरिटी शो किए। सुनील दत्त और नर्गिस दत्त के साथ सीमा पर तैनात फौजी जवानों के लिए उन्होंने कार्यक्रम दिए।

प्रमुख गीत 
* तुम अगर साथ देने का वादा करो
* लाखों हैं यहाँ दिल वाले पर प्यार नहीं मिलता
* चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ
* तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
* मेरे देश की धरती सोना उगले
* मेरा रंग दे बसंती चोला
* है प्रीत जहाँ की रीत सदा
* अब के बरस तुझे
* नीले गगन के तले
* किसी पत्थर की मूरत से
* भारत का रहने वाला हूँ
* फकीरा चल चला

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