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Saturday, August 18, 2012

टिप-टिप बरसा पानी


Aishwarya
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एक कृषिप्रधान देश होने के कारण भारत में मानसून का विशेष महत्व है। शायद इसीलिए इसका असर बॉलीवुड की फिल्मों में भी देखने को मिलता है। बारिश में भीगते हुए नायक-नायिका पर गाना फिल्माने की परम्परा वर्षों पुरानी है।

भले ही असल जिंदगी में कोई भी फिल्मी अंदाज में भीगते हुए गाना गाते आपको नज़र नहीं आएगा, लेकिन परदे पर कलाकारों को ऐसा करते देख सभी को अच्छा लगता है।

राजकपूर की फिल्म ‘बरसात’ से वर्षा गीतों का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह मणिरत्नम् की ‘गुरु’ तक जारी है। राजकपूर ने अपनी फिल्मों में इस तरह के कई गीत फिल्माए।

‘श्री 420’ का गीत ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ बरसाती गीतों में टॉप माना जाता है। कई वर्ष बीत जाने के बावजूद इस गीत का महत्व कम नहीं हुआ है और न ही इसकी टक्कर का कोई गीत आया।

कुछ लोग मधुबाला और किशोर कुमार पर फिल्माए गए ‘चलती का नाम गाड़ी’ के गीत ‘एक लड़की भीगी-भागी सी’ को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। नायक-नायिका एक-दूसरे को स्पर्श भी नहीं करते हैं और माहौल में मादकता भर जाती है।

बाद में निर्माताओं ने वर्षा-गीतों को देह प्रदर्शन का फार्मूला बना लिया। गीली और पारदर्शी साड़ी में लिपटी नायिका को परदे पर पेश करने का उन्हें एक बहाना मिल गया। एक दौर तो ऐसा आया था, जब हर वितरक अपने निर्माता से पूछता था कि फिल्म में वर्षा का कोई गीत है या नहीं।

अब नायिकाएँ इतने कम कपड़े पहनती हैं कि बरसाती गीत की भी जरूरत नहीं पड़ती। शायद इसीलिए इस तरह के गीतों का चलन आजकल कम हो गया है।

पेश है कुछ यादगार मानसून गीत :
* बरसात में हमसे मिले तुम सजन (बरसात - 1949)
* प्यार हुआ, इकरार हुआ (श्री 420 - 1955)
* इक लड़की भीगी-भागी-सी (चलती का नाम गाड़ी - 1958)
* ओ सजना, बरखा बहार आई (परख - 1960)
* रि‍मझिम के तराने लेकर आई बरसात (काला बाजार - 1960)
* जिंदगीभर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात (बरसात की रात - 1960)
* सावन की रातों में (प्रेमपत्र - 1962)
* बदरा छाए आधी रात (आया सावन झूम के - 1969)
* रूप तेरा मस्ताना (आराधना - 1969)
* हाय हाय ये मजबूरी (रोटी कपड़ा और मकान - 1974)
* रिमझिम गिरे सावन (मंजिल - 1979)
* आज रपट जाएँ (नमक हलाल - 1982)
* काटे नहीं कटते (मि. इण्डिया - 1986)
* अब के बरस यूँ बरस (आग और शोला - 1986)
* लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है (चाँदनी - 1989)
* रिमझिम-रिमझिम (1942 : ए लव स्टोरी - 1994)
* टिप-टिप बरसा पानी (मोहरा - 1994)
* घोड़े जैसी चाल (दिल तो पागल है - 1997)
* घनन-घनन घन घिर आए बदरा (लगान - 2001)
* भागे रे मन (चमेली - 2003)
* साँसों को साँसों से (हम तुम)
* देखो ना (फना - 2006)
* बरसो रे मेघा (गुरु - 2007)
Amir-Kajol
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सावन का मौसम आते ही सारा वातावरण रोमांटिक हो जाता है। इस रोमांटिक माहौल का लाभ उठाने में भला फिल्म वाले कैसे पीछे रह सकते हैं। नायक-नायिका के भीगते और झूमते हुए दृश्य फिल्माना हों तो वे स्टूडियो में ही सावन का माहौल बना देते हैं।

बारिश में भीगते नायक-नायिका जब गाना गाते हैं तो दर्शकों को बड़ा अच्छा लगता है। सावन पर गीतकारों ने कई गीत लिखे हैं जिनकी चर्चा अकसर होती रहती है। बात करते हैं सावन नाम पर आधारित फिल्मों की।

‘सावन’ नाम की दो फिल्में बन चुकी हैं। 1945 में प्रदर्शित फिल्म में मोतीलाल और शांता आप्टे ने काम किया था और 1959 में बनी फिल्म में भारतभूषण और अमीता थे।

1949 में प्रदर्शित किशोर साहू ने अपनी फिल्म का नाम रखा था ‘सावन आया रे’। शायद वे दर्शकों को ये बताना चाहते थे कि थिएटर में सावन आ गया है, आप फिल्म देखने आ जाएँ। 1966 में सिनेमाघरों में ‘सावन की घटा’ छाई थी।

सावन नामक फिल्मों ने बॉलीवुड को दो श्रेष्ठ नायिकाएँ भी दी हैं। रेखा और श्रीदेवी। रेखा ने बतौर नायिका ‘सावन भादो’ (1970) से शुरूआत की थी, वहीं श्रीदेवी ने 1979 में प्रदर्शित ‘सोलहवाँ सावन’ से अपनी शुरूआत की।

रेखा के लिए सावन शब्द भाग्यशाली रहा। उनकी पहली फिल्म हिट हुई। वहीं श्रीदेवी की फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही और कुछ बरस बाद उन्होंने ‘हिम्मतवाला’ के जरिये फिर से बॉलीवुड में प्रवेश किया। ‘सावन भादो’ नाम से 1949 में भी एक फिल्म बन चुकी है।
Ash
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धर्मेन्द्र और आशा पारीख द्वारा अभिनीत ‘आया सावन झूम के’ (1969) जबरदस्त हिट हुई थी। इस फिल्म में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत भी झूमता हुआ था।

‘सावन के गीत’ नाम की कोई कैसेट बाजार में नहीं आई थी, बल्कि यह नाम था उस फिल्म का, जिसमें संजीव कुमार और रेखा ने काम किया था। हो सकता है कि नाम समझ में नहीं आने के कारण 1978 में प्रदर्शित यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई हो।

‍जितेन्द्र, रीना रॉय और मौसमी चटर्जी द्वारा अभिनीत फिल्म का नाम ‘प्यासा सावन’ (1981) था, लेकिन इस फिल्म ने हिट होकर इसके निर्माता की प्यास बुझा दी। इस फिल्म का संगीत आज भी लोकप्रिय है।

इसी तरह राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘सावन को आने दो’ (1979) ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता हासिल की थी।

एक निर्माता ने अपनी फिल्म का नाम रखा ‘प्यार का पहला सावन’ (1989)। नाम से ही फिल्म की कहानी पता चल जाती है। जया प्रदा ने भी ‘सावन का महीना’ (1989) नामक फिल्म बनाई थी, जिसमें उनके नायक ऋषि कपूर थे। यह फिल्म सावन का महीना तो क्या आधा महीना भी नहीं चल पाई।

1991 में दो फिल्में ऐसी आईं जिसमें सावन शब्द आया। एक निर्माता को सावन से प्यार था इसलिए उन्होंने अपनी फिल्म का नाम रखा ‘प्यार का सावन’। दूसरे महाशय सावन से कुछ नाराज नज़र आए, उन्होंने फिल्म को नाम दिया ‘आग लगा दो सावन को’। हो सकता है सावन नामक आदमी से उनकी दुश्मनी हो।

निर्माता-निर्देशक सावन कुमार अपने नाम पर मोहित नजर आए। उन्होंने अपने नाम पर ही ‘सावन’ (2006) फिल्म बना डाली जिसमें सलमान खान ने अभिनय किया था।

आपको भी कोई ऐसी फिल्म का नाम याद आए जिसमें सावन शब्द हो तो हमें जरूर बताइएगा।

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