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Saturday, August 18, 2012

बिंदिया गोस्वामी



बिंदिया गोस्वामी
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हिन्दी फिल्मों में कुछ तारिकाएँ ऐसी हुई हैं, जो थोड़े समय के लिए फिल्माकाश में चमकीं और अचानक परदे के पीछे चली गईं। जरीना वहाब, रामेश्वरी, राजश्री के साथ बिंदिया गोस्वामी का नाम भी इसी कतार में रखा जा सकता है।

हालाँकि बिंदिया का करियर लंबा रहा, लेकिन वे अपनी चमक नहीं बिखेर पाईं। उनकी सफल फिल्मों की संख्या एक हाथ की अंगुली पर गिनी जा सकती है। सत्तर के दशक से फिल्मी परदे पर प्रकट होने वाली बिंदिया अपने नाम के अनुरूप छोटी-सी बिंदिया से बड़े आकार का तिलक कभी नहीं बन पाई।

उस दौरान हेमा मालिनी, रेखा, परवीन बॉबी, जीनत अमान जैसी नायिकाओं का बोलबाला था और इनके होते हुए बिंदिया को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाए और कुछ हद तक बिंदिया की औसत प्रतिभा भी इसके लिए जिम्मेदार है। आज वे फिल्मकार जे.पी. दत्ता की पत्नी के रूप में शांत जीवन जी रही हैं।

डुप्लिकेट हेमा मालिनी
जब बिंदिया सिर्फ चौदह वर्ष की थी, तब एक पार्टी में उन पर हेमा मालिनी की माँ की नजर पड़ी। बिंदिया की सूरत और सीरत में उन्हें दूसरी हेमा नजर आई। हेमा की माँ ने फिल्म निर्माताओं से बिंदिया की सिफारिश कर उन्हें फिल्म जीवन ज्योति में काम दिलाया।

इस फिल्म के नायक विजय अरोरा थे, जो अपने डूबते करियर को बचाने के लिए हाथ-पैर मार रहे थे। जीवन-ज्योति बॉक्स ऑफिस पर कोई रोशनी नहीं कर पाई और बिंदिया की चमक भी फीकी पड़ गई।

भला हो, फिल्मकार बासु चटर्ची का जिन्होंने बिंदिया को अपनी फिल्म खट्टा मीठा (1977) और प्रेम विवाह (1979) में मौका देकर लाइम लाइट में बनाए रखा। सत्तर का दशक बासु चटर्जी और उनकी फिल्मों के लिए भाग्यशाली रहा है। बासु दा के पारस स्पर्श से बिंदिया फिल्म निर्माताओं के आकर्षण का केन्द्र बन गईं।

बासु दा के हाथों से गुजरकर उस दौर के मध्यमार्गी सिनेमा के अगुआ ऋषिकेश मुखर्जी ने बिंदिया को अपनी सुपरहिट फिल्म गोलमाल में मौका दिया। इसी फिल्म के कारण आज की पीढ़ी भी बिंदिया को पहचानती है।

फिल्म शोले के डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने अपनी बड़े बजट तथा बहुल सितारों वाली फिल्म शान (1980) में नायिका का रोल दिया। ऐसा माना जाता है कि फिल्म शोले में बसंती का रोल करने के बाद हेमा मालिनी ने अपने भाव बढ़ा दिए थे जो रमेश सिप्पी को मंजूर नहीं थे।

लिहाजा उन्होंने हेमा की हमशक्ल बिंदिया गोस्वामी को कम दामों पर नायिका के रूप में पेश किया। फिल्म शान बॉक्स ऑफिस पर इतनी बुरी तरह पिटी कि उसके बाद सिप्पी खानदान उबर नहीं सका।

कुछ मीठा-कुछ खट्टा
बिंदिया के करियर में अनेक उतार-चढ़ाव आए हैं। उनकी पहली फिल्म के नायक विजय अरोरा के साथ उनकी खटपट होती रही। मसाला पत्रकारों ने उनकी छेड़छाड़ की खबरें भी चटखारे अंदाज में प्रचारित की।

इसी तरह शादीशुदा हीरो विनोद मेहरा से भी उनके संबंध जोड़े गए। बिंदिया और विनोद ने अनेक फिल्मों में साथ काम किया। दोनों की शादी की खबरें भी आईं। बाद में जे.पी. दत्ता से शादी कर अपना घर बसाया।

आज एक सफल गृहिणी के अलावा वे सितारा अभिनेत्रियों के लिए कास्ट्‌यूम डिजाइन का काम कर रही हैं। अपने पति की फिल्म बॉर्डर, रिफ्यूजी और एलओसी में नायिकाओं की सजावट, केश विन्यास तथा पोषाख की व्यवस्था कर उन्होंने अपनी आमदनी का जरिया भी बनाया है।

एलओसी का विवाद
बॉर्डर फिल्म से अपार लोकप्रियता और पैसा कमाने के बाद जेपी दत्ता एल.ओ.सी. की नाकामयाबी के बाद जमीन पर आ गिरे। इस फिल्म के फ्लॉप होने पर बिंदिया ने कहा कि जो इस फिल्म की आलोचना करेगा वो देशद्रोही है। इस पर अच्छा-खासा हंगामा खड़ा हुआ था और बिंदिया एक फिर सबकी निगाहों में आई थी।

प्रमुख फिल्में
चोर पुलिस (1983), हमारी बहू अलका (1982), खुद्दार (1982), होटल (1981), बंदिश (1980), शान (1980), टक्कर (1980), गोलमाल (1979), जानी दुश्मन (1979), प्रेम विवाह (1979), खट्टा मीठा (1978)

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