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Saturday, August 18, 2012

राजकुमार संतोषी


Santoshi
IFM
बात लगभग बीस वर्ष पुरानी है। ‘घायल’ की पटकथा लेकर राजकुमार संतोषी सनी देओल से मिले थे। सनी की गिनती उस समय टॉप कलाकारों में होती थी। सनी ने कहानी सुनी और संतोषी के कहानी सुनाने के अंदाज से बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने पापा धर्मेन्द्र से बात की और खुद फिल्म निर्माता बनकर फिल्म बनाने का फैसला किया।

फिल्म की कहानी बहुत साधारण थी, लेकिन संतोषी ने इसे परदे पर बहुत ही प्रभावी तरीके से पेश किया। कहानी सनी की एक्शन इमेज को ध्यान में रखकर लिखी गई थी। उस समय तक सनी एक्शन तो अच्छा कर लेते थे, लेकिन अभिनय में कमजोर समझे जाते थे।

‘घायल’ ने साबित किया कि सनी अभिनय भी कर सकते हैं। 22 जून 1990 को यह फिल्म प्रदर्शित हुई। इसी दिन आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘दिल’ भी प्रदर्शित हुई थी, जिसका दर्शकों में क्रेज था। लेकिन ‘घायल’ ने भी जबरदस्त सफलता हासिल की।

सनी को प्रशंसा और पुरस्कार मिलें और उनकी संतोषी से बहुत अच्छी दोस्ती हो गई। संतोषी भी सनी के एहसानों के तले दब गए क्योंकि सनी ने उन पर विश्वास किया और एक बड़ा अवसर दिया।

इसके बाद संतोषी ने सनी को लेकर ‘दामिनी’ और ‘घातक’ बनाने की घोषणा की। ‘दामिनी’ एक संदेश प्रधान फिल्म थी, जिसे संतोषी ने मनोरंजक अंदाज में पेश किया। इस फिल्म में सनी संक्षिप्त लेकिन बहुत ही असरदार भूमिका में दिखाई दिए। इस फिल्म के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले।

संतोषी की इस फिल्म में भी नायिका मीनाक्षी शेषाद्रि थी। मीनाक्षी को लगातार अपनी फिल्मों में लेने का राज उस समय खुला जब संतोषी ने एक दिन मीनाक्षी के आगे अपने प्यार का इजहार कर दिया। मीनाक्षी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी और पूरा मामला वन वे ट्रेफिक की तरह था।

मीनाक्षी ने संतोषी के प्यार को ठुकरा दिया और ऐसा लगने लगा कि संतोषी की फिल्म ‘घातक’ रूक जाएगी। लेकिन दोनों ने व्यावसायिक कलाकार होने का सबूत देते हुए फिल्म पूरी की।

सनी को पीठ के दर्द की समस्या थी और वे महीनों शूटिंग नहीं कर पाए। खाली समय का सदुपयोग करते हुए संतोषी ने आमिर खान और सलमान खान को लेकर ‘अंदाज अपना-अपना’ बनाई।

उस समय आमिर और सलमान ‘ईगो प्राब्लम’ जैसी बीमारी का शिकार नहीं हुए थे और उन्होंने साथ में काम किया। हास्य से भरी इस फिल्म को दर्शकों ने बहुत पसंद किया और आज भी टेलीविजन पर इसे दर्शक बड़े चाव से देखते हैं।

संतोषी ने ‘घातक’ (1996) को इस थीम पर बनाया कि यदि कायरता और हिंसा में से किसी एक को चुनना हो तो हिंसा को चुनना चाहिए। सनी देओल से उन्होंने एक बार फिर जबरदस्त अभिनय कराया। फिल्म की पटकथा बेहद सशक्त थी और दर्शकों को फिल्म पसंद आई।

संतोषी ने सामाजिक (दामिनी), एक्शन (घायल व घातक) तथा हास्य (अंदाज अपना अपना) फिल्म बनाकर दर्शाया कि वे हर तरह की फिल्म सफलतापूर्वक बना सकते हैं। उनके कहानी कहने का तरीका बेहद उम्दा है और उनके चरित्र बेहद ठोस होते हैं। उनकी छवि एक ऐसे निर्देशक की बनी जो कलाकारों से बहुत अच्छा काम लेते हैं। अनिल कपूर, अजय देवगन, सनी देओल, माधुरी दीक्षित ने संतोषी की फिल्म में काम कर कई पुरस्कार जीते

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